
केरल की राजनीति में बड़ा राजनीतिक भूचाल देखने को मिला है. स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) से सत्ता छीन ली है. यह वही निगम है, जिस पर LDF पिछले चार दशकों से अधिक समय तक लगातार काबिज रहा था. राजधानी में यह सत्ता परिवर्तन वाम मोर्चे के लिए बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है.तिरुवनंतपुरम न सिर्फ केरल की प्रशासनिक राजधानी है, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम क्षेत्र माना जाता है. इसी लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर लगातार चार बार सांसद चुने जा चुके हैं, जिससे यह क्षेत्र लंबे समय से कांग्रेस और वाम मोर्चे के प्रभाव वाला माना जाता रहा है. ऐसे में नगर निगम में बीजेपी की जीत ने राज्य की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह जीत विधानसभा चुनावों में 2-3 सीटें जीतने से कहीं ज्यादा असरदार है. नगर निगम जैसे बड़े शहरी निकाय में सत्ता हासिल करना यह संकेत देता है कि शहरी मतदाता पारंपरिक राजनीतिक ध्रुवीकरण से हटकर विकल्प तलाश रहा है. यह बदलाव खास तौर पर उस राज्य में महत्वपूर्ण है, जहां अब तक मुकाबला मुख्य रूप से LDF और UDF के बीच ही सीमित रहा है.
